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भारत और पाकिस्तान के बीच आणविक युद्ध की संभावनाएं और सम्भावित परिणाम

निहितार्थ
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भारत और पाकिस्तान के बीच आणविक युद्ध की संभावनाएं और सम्भावित परिणाम

पाकिस्तान एक बार फिर कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धोन्माद का वातावरण तैयार करने में लगा हुआ है. कश्मीर को भारत से बलपूर्वक छीनने के लिए पाकिस्तान नें अबतक 1947, 1965, 1971 ( बंगला देश युद्ध ) और मई से जुलाई 1999 ( कारगिल ) में भारत पर चार बार हमले किए हैं और हर बार पिटा है. सन 1971 की बंगला देश युद्ध में पकिस्तान की हार तो विश्व इतिहास की एक अभूतपूर्व घटना है.यह वह मौका था जब पाकिस्तान के 90,000 सैनिकों नें भारतीय जनरल के सामने आत्मसमर्पण किया और सभी को गिरफ्तार लिया गया. अब चूंकि पाकिस्तान नें स्वनिर्मित या खरीदा हुआ एटम बम हासिल कर लिया है इस कारण युद्ध में भारत के विरुद्ध आणविक अस्रों के प्रयोग की धमकी देने लगा है. पाकिस्तान के नेताओं और हुक्मरानों नें इस प्रकार धमकी देना प्रारम्भ किया है. परवेज मुशर्रफ़ कहा करते थे कि क्या एटम बम हमने नुमाइश में दिखाने के लिए बनाया है. पाकिस्तान पागलों, जिहादियों और आतंकवादियों का देश है. इस बात से इनकार नहीं किया कि कोई भी पागल अपने पागलपन में कहीं आणविक यद्ध शुरू न कर दे.

आण्विक अस्रों के विनाशकारी प्रभाव के बारे में हम परिचित है. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका नें अगस्त 1945 में जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिराए थे. विस्फोट होने पर दोनों शहर Ghost town में बदल गए. 1000,000 से 2000,000 तक लोगों की मृत्यु हुई. सभी वनस्पतियां जल गईं, बड़ी बड़ी इमारतें धराशायी हो गईं। इसीलिए इसे कहा जाता है WMD ( Weapon of Mass Destruction ). यह एक ऐसा दृश्य था जो मानव जाति के लिए अकल्पनीय था. मैं नहीं जानता कि पाकिस्तानी हुक्मरानों को एटम बम के बारे में कितना पता है. Nuclear Weapon आक्रमण का कोई बचाव नहीं है. हाँ, आप पलट के आक्रमण का जवाब दे सकते हैं.

आइये भारत — पकिस्तान के बीच एक आण्विक संघर्ष की कल्पना करें. अगर पाकिस्तान के पास एटम बम हैं तो हमारे पास भी हैं. हमारे सारे nuclear war head वाले मिसाइल ( Missiles with Nuclear War head )अपनी अपनी जगह तैनात किये जा चुके हैं. मान लीजिये पाकिस्तान भारत पर आण्विक अस्रों लैस मिसाइल से आक्रमण करता है, तब अपने बचाव के लिए हमें पहले से तैयार कांक्रीट बंकरों में शरण लेना पड़ेगा. इसी बीच विशेष सेंसरों से सुसज्जित हमारे Atomic War head मिसाइल इस बात का पता लगा कर अपने आप छूटेंगे. हमारे पास ऐसे एंटी मिसाइल मिसाइल हैं जो दुश्मन के मिसाइलों को हमारे आकाश में प्रवेश करते ही आकाश में ही नष्ट कर देंगे . इसके बावजूद इस बात की संभावना बनी रहेगी की दुश्मन का कोई मिसाइल हमारी धरती पर एटम बम डाल कर भारी तबाही मचा दे. इसी प्रकार हमारे nuclear war head वाले मिसाइल पकिस्तान के ऊपर एटम बम डाल कर उसका सर्वनाश कर सकते हैं. आण्विक युद्ध एक ऐसा युद्ध होगा जिसमें न किसी की जीत होगी न किसी की हार सभी का सर्वनाश और सभी की हार होगी. आबादी और क्षेत्रफल ज़्यादा होने से भारत महाविनाश से बच सकता है. पाकिस्तान का तो नामो निशाँ इस धरती से मिट जाएगा. ज़ाहिर है अपना अस्तित्व खोकर भी पाकिस्तान कश्मीर नहीं पा सकेगा क्योंकि पाकिस्तान तब होगा ही नहीं. दूसरे विश्वयुद्ध के समय जब पहली बार एटम बम जापान के ऊपर डाला गया था, तब परिस्थितियां भिन्न थीं. दुनिया में अमेरिका एक ऐसा देश था जिसके पास एटम बम था. इस कारण युद्ध के परिणाम एकतरफ़ा रहे. दो शहरों नागासाकी और हिरोशिमा में महाविनाश का सामना करके जापान को आत्मसमर्पण करना पड़ा. आज दुनिया के कई देशों के पास एटम बम हैं. आण्विक विश्वयुद्ध की स्थिति में सम्पूर्ण धरती का महाविनाश सम्भावित है.

आण्विक युद्ध के दुष्परिणामों पर भी विचार कर लेना आवश्यक है.

जिस शहर पर या स्थान पर एटम बम का विस्फोट होगा उसके कई किलोमीटर की परिधि में भयानक आग लग जाएगी. दस लाख से बीस लाख ( 1000,000 —-2000,000 ) के करीब लोगों और पशुओं का नाश हो जाएगा. जो बच जायेंगे उनकी हालत मरने वालों से भी बदतर होगी. सभी चल अचल संपत्ति बर्बाद हो जाएगी. Nuclear radiation का दुष्प्रभाव दूर दूर तक रहने वालों के जीन्स ( genes )को नुक्सान पहुंचाएगा। Gene damage के कारण आगे आने वाले समय में बीमार और अपंग बच्चे पैदा होंगे. कैंसर जैसी अनेक बीमारियां पैदा होंगी.

इतना तो निश्चित है कि आण्विक युद्ध के बाद भी पाकिस्तान भारत से कश्मीर को नहीं छीन पायेगा.

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