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कवितायेँ

निहितार्थ
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कवितायेँ

खर्चा

खर्चा चाहे तुम करो

या मैं करूं

दोनों ही हालात में

जेब तो मेरी ही कटेगी


चक्र व्यूह

दिन का पीछा रात करती है

रात का पीछा दिन करता है.

सुबह के बाद शाम और शाम के बाद सुबह

सुख के पीछे दुःख और दुःख के पीछे सुख

सभी चक्र में ही घूमते हं.

दिन रात, सुबह शाम, सुख दुख, का चक्र अनंत काल तक चलेगा

कौन किसके आगे और कौन किसके पीछे

कौन पहले और कौन बाद में

इसका निर्णय कैसे हो

इंसान एक चक्रव्यूह में फंस कर रह गया है

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