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गरीबी की रेखा

निहितार्थ
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गरीबी की रेखा

गरीबी की रेखा आजकल सबसे ज्यादा चर्चा के विषय में है. गरीबी की रेखा से कुछ ऐसा आभास मिलता है मानो कोई ऐसी रेखा हो जो गरीबी और अमीरी के अंतर को स्पष्ट करती हो. रेखा से ऊपर आय वाले सारे के सारे अमीर और नीचे वाले सारे गरीब। गरीबी की रेखा की सहायता से गरीब लोग जो सरकारी सहायता के अधिकारी हैं, उनके बारे में भी अनुमान लगाया जा सकता है. एक रेखा खींचकर गरीबी और अमीरी को पारिभाषित कर पाना अत्यंत ही दुष्कर कार्य है. स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2013 को लाल किले की प्राचीर से दिए गए अपने भाषण में स्वयं प्रधानमंत्री यह स्वीकार कर चुके हैं कि गरीबी को पारिभाषित कर पाना नितांत ही दुरूह कार्य है. जहाँ प्रधानमंत्री जैसे विद्वान् व्यक्ति गरीबी को पारिभाषित करने में अपने को असमर्थ पाते हों वहाँ हमारे जैसे नाचीज़ की औकात ही क्या है. लेकिन इस गरीबी रेखा की अपनी उपयोगिता है. गरीबी की रेखा अकबर बीरबल की कहानी की याद दिलाती है,. अकबर नें ज़मीन पर एक सीधी लकीर खींच दी और दरबारियों से कहा कि जो कोई . बिना मिटाए इस रेखा को छोटी कर देगा उसे पुरष्कृत किया जायेग. सभी दरबारी हार गए केवल बीरबल ने अपनी बुद्धिमता का प्रयोग कर अकबर द्वारा खींची गई लकीर के समानांतर एक बड़ी लकीर खींच दी. इस प्रकार बीरबल द्वारा . खींची गई रेखा की तुलना में अकबर की रेखा छोटी हो गई.
गरीबी की रेखा बनाई गई थी देश में गरीबों की पहचान करने के लिए, यह एक ऐसी रेखा है जिसके ऊपर आय वाले अमीर और नीचे की आय वाले गरीब माने जाएँगे। इससे देश में व्याप्त गरीबी के बारे में अनुमान लगाना आसान होगा. .गरीबी की रेखा बनाई गई थी देश में गरीबों की पहचान करने के लिए, यह एक ऐसी रेखा है जिसके ऊपर आय वाले अमीर और नीचे की आय वाले गरीब माने जाएँगे। इससे देश में व्याप्त गरीबी के बारे में अनुमान लगाना आसान होगा. . गरीबों की पहचान करने के लिए अर्जुन सेनगुप्ता, मोंटेक सिंह अहलूवालिया से लेकर एन सी सक्सेना समितियां बनाई गईं लेकिन गरीबों की पहचान कर पाना सम्भव नहीं हो सका है. अभी हालिया बताया गया है कि शहरों में प्रतिदिन 27 रुपये खर्च करने वाला अमीर है और इससे कम खर्च करने वाला गरीब. ध्यान देनेवाली बात यह है कि इसी 27 रुपये में रोटी भी खाना होता है, कपडे लत्ते भी पहनने होते हैं, रहना भी होता है और बीमार पड़ने पर इलाज भी कराना होता है. क्या 27 रुपये में दैनंदिन आवश्यकताओं की आपूर्ति सम्भव है. क्या इतनी आमदनी वाले को अमीर माना जायेगा. यह मजाक नहीं तो क्या है.
हमारे राजनेता और अफसरशाह आम आदमी से कटे हुए हैं . उन्हें आम आदमी की आवश्यकताओं की कोई समझ नहीं है. आम आदमी के लिए गरीबी की रेखा की कोई उपयोगिता हो या न हो लेकिन राजनीतिज्ञों के लिए यह बड़े काम की चीज़ है. गरीबी की रेखा को बीरबल की तरह इस तरह खींचा जा सकता है कि अमीर लोग ज़्यादा नज़र आयें और गरीब लोग कम. एक अत्यंत ही लचीली गरीबी की रेखा को अपनी सुविधा और आवश्यकता अनुसार इस तरह ऊपर या नीचे खिसकाया जा सकता है ताकि गरीबी को कम करके दिखाया जा सके.
आवश्यकता अनुसार गरीबी की रेखा खींच कर लोगों को समझाया जा सकता है की तुम गरीब नहीं बल्कि अमीर हो.

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