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हाय मंहगाई, तू कहाँ से आयी

निहितार्थ
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हाय  मंहगाई,  तू कहाँ से आयी

 

बेशुमार काला धन और चीज़ों की सीमित उपलब्द्धता मंहगाई का असली कारण है, मंहगाई का कारण है काला धन जनित भ्रष्टाचार, विकास दर नहीं बढती मंहगाई के लिए विकास दर को दोष देकर सरकार देश को गुमराह कर रही है. देश की राजनीतिक , प्रशासनिक , पुलिस, न्याय व्यवस्था और सता नव समृद्ध वर्ग और भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के नियंत्रण में है. 2 G Spectrum, CWG और आदर्श सोसायटी घोटालों से यह साबित हो चुका है
देश में मंहगाई से हाहाकार मचा हुआ है. आम आदमी का जीवन दूभर हो रहा है. सरकार का कहना है कि विकास दर तेज होने से महंगाई बढ़ रही है. लेकिन यह भी ध्यान देने योग्य बात है की मुद्रास्फीति आगे आगे भाग रही है और विकास दर उसके पीछे है. ऐसे में विकास दर का कोइ मतलब नहीं रह जाता है. सरकार विकास दर को लेकर बाग – बाग हुई जा रही है और अपनी पीठ थपथपा रही है. सरकार आँकड़ों को लेकर आत्म मुग्ध है. कारों के बढ़ती माँग और उत्पादन और मोबाइल फोन के उपयोग के आँकड़े पेश किए जाते हैं. रोटी की मांग और आपूर्ति सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं हैं. इस सत्य से आँख मूंद लिया जाता है कि अर्जुन सेनगुप्ता की रिपोर्ट के अनुसार देश की 80 करोड़ आबादी 20 रूपये प्रतिदिन की आय पर जीवन यापन कर रही है. विकास दर में वृद्धि कहाँ हो रही है यह भी विचारणीय है. सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर नें देश में एक ऐसा अहंकारी धनाढ्य वर्ग पैदा किया है जिसकी क्रय क्षमता असीमित है. वह कोई भी चीज़ किसी भी समय किसी भी कीमत पर खरीद सकता है. करोड़ों की प्रापर्टी ऐसे खरीदी जाती है जैसे आइसक्रीम या टाफी खरीदी जाती है वृद्धि दर का बहुत सा धन या तो कालेधन के रूप में धन्नासेठों, दलालों, हवाला डीलरों. की तिजोरियों में जा रहा है या हवाला के जरिये स्विस और अन्य देशों के बैंकों में जमा हो रहा है. थोड़े से नव समृद्ध वर्ग के हाथों में असीमित, बेशुमार काले धन का आ जाना सभी समस्याओं कि जड़ है. बेशुमार काला धन और चीज़ों की सीमित उपलब्द्धता मंहगाई का असली कारण है, मंहगाई का कारण है काला धन जनित भ्रष्टाचार, विकास दर नहीं बढती मंहगाई के लिए विकास दर को दोष देकर सरकार देश को गुमराह कर रही है. देश की राजनीतिक , प्रशासनिक , पुलिस, न्याय व्यवस्था और सता नव समृद्ध वर्ग और भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के नियंत्रण में है. 2 G Spectrum, CWG और आदर्श सोसायटी घोटालों से यह साबित हो चुका है. यह वर्ग क़ानून को अपनी जेब में रखता है. दूसरी ओर ग़रीब और ग़रीब होता जा रहा है. उसको दो रोटी के लाले पड़े हैं. ग़रीब और अमीर के बीच की खाईं और चौड़ी होती जा रही है. हमने जो ग्रोथ का माडल अख्तियार किया है उसमें हमने देश को इंडिया और भारत में बाँट दिया है. इंडिया द्वारा भारत का शोषण हो रहा है. जहाँ इंडिया अमीर है वहीं भारत भूखा, नंगा, लाचार, बेरोज़गार और बीमार है. सरकार की निगाह में आम आदमी की उपयोगिता / अहमियत आम से ज्यादा कुछ भी नहीं है जिसे चूस कर फेंक दिया जाता है. यू पी ए सरकार का ग्रोथ माडल चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के ‘ सरवाइवल आफ फिटेस्ट एंड स्ट्रांगेस्ट ‘ के सिद्धांत को ध्यानं में रखकर बनाया गया लगता है . नेचुरल सेलेक्शन प्रासेस में ग़रीब का अस्तित्व अपने आप मिट जाएगा. बढ़ती मंहगाई से इंडिया को फ़र्क़ नहीं पड़ता है बढती मंहगाई कालाधन वालों और भ्रष्ट वर्ग के अनुकूल आती है. ज्यादा मंहगाई ज्यादा आमदनी. हो क्या रहा है कि आम आदमी और गरीब कि जेब काट कर कालेधन वालों की तिजोरी भरी वजा रही है. इससे भारत के सामने अस्तित्व का संकट उपस्थित हो जाएगा

 

 

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